!!!....वक्त....!!!
वक्त का पता नहीं चलता, अपनों के साथ
पर अपनों का पता चल जाता है, वक्त के साथ।
पहले सिर्फ सुना था, अब महसूस भी किया है
इस रंग बदलती दुनिया में, ना कोई अपना ना पराया है।
बदलते वक्त के साथ, कितना कुछ बदलता है
कभी था जो अपना, देखो आज जहर उगलता है।
खुली रह जाती हैं आँखें, सिल जाते हैं होंठ
जब दिल पर करता है, कोई अपना गहरी चोट।
ना पालो किसी से आशा, ना रखो कोई उम्मीद
वरना ख़्वाब टूटेगा एक दिन और उड़ जायेगी नींद।
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